परीक्षा

परीक्षा का मनोविज्ञान

परीक्षा मतलब पर +  इच्छा

–परीक्षा में हमेशा दूसरे व्यक्ति  की ही इच्छा का महत्व रहता है ,बच्चे साल भर पढते है ,लेकिन पेपर कोई दूसरा बनाता है ओर जांचता भी है   कोई और |परीक्षा का भय तो ऐसा है कि बड़े बड़े व्यक्ति भी परीक्षा के नाम से भागते है |अगर हम परीक्षा के मनोविज्ञान को समझने की कोशिश करे तो हम पाते है कि एक नियत समय में ,साल भर की पढाई की जाँच सिर्फ तीन घंटे में की जाएगी |तो इस     समय में जरुरी है कि बच्चे अपना आत्म विश्वास बनाये रखे और एकदम शांत और संतुलित रह कर परीक्षा की तैयारी करे| परीक्षा का तनाव क्या होता है ?यह सवाल आप किसी भी छात्र से करे ,तो उसके हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा तनाव यही है पूरे साल मेहनत की है .पर अब हताश हो रहे है |पता नहीं क्या होगा ?  अब जबकि परीक्षाएं करीब आ चुकी हैं और कुछ ही दिन शेष रह गएँ हैं,स्वाभाविक है  कि बच्चों  और पालकों में  उत्सुकता ,घबराहट  एवं तनाव की स्तिथियाँ निर्मित हो जाती हैं | वैसे तो कम वक़्त बचा हो और लम्बा रास्ता तय करना हो तो वाहन चालक को गति बढ़ानी  पढ़ती है , मगर यह सावधानी भी रखनी पढ़ती है कि कहीं एक्सीडेंट न हो जाए | यह भी पक्का कर लेना होता है कि उतनी क्षमता है जितनी से आप उसे चलाना चाहते हैं | समय कम बचा है और कोर्स ज्यादा, ऐसेमें क्या करें और क्या न करें यह एक अहम विषय होता    है|

और अगर यह बोर्ड परीक्षा है ,तो तनाव होना असामान्य बात नहीं है |लेकिन कुछ बातो का ध्यान रख कर बच्चे तनाव से बच सकते है और अपनी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकते है

<क्या करें छात्र

1*परीक्षा के लिए लक्ष्य तय करना जरूरी है। अपनी क्षमता देखकर ही अपना लक्ष्य तय करें। वरना बाद में निराशा होगी। अगर आप 9वीं कक्षा तक 65 प्रश अंक लेकर पास होते रहे हैं तो अपना लक्ष्य भी 65 से 75 प्रश अंकों का ही रखें। 85 या 90 प्रश अंकों का लक्ष्य रखने से आप भटक जाएँगे।

2* ध्यान रहे, लगातार कई घंटों तक पढ़कर कोई बच्चा अच्छे अंक प्राप्त नहीं कर सकता। किताबी कीड़ा बनने की जरूरत नहीं। पढ़ाई के साथ थोड़ा समय बाकी कामों के लिए भी निकालें। परीक्षा के वक़्त तनाव होना जरूरी भी है, लेकिन इतना नहीं की पढ़ा हुआ याद ही न हो पाए| हर स्टुडेंट्स का अपना बॉडी क्लोक होता है | किसी को रात में पढना  अच्छा लगता है, तो किसी को सुबह | आप भी अपना बॉडी क्लोक समझे और उसके अनुसार काम करें | यह सोचकर कभी नहीं पढ़े कि आपका दोस्त ज्यादा देर तक पढ़ता है, आप तो बस यह सोचे की आप कब तक पढ़ सकतें हैं ? 45  से 50  मिनट लगातार पढ़ने के बाद 5  से 10 मिनट का ब्रेक जरूर लें |

3* सुबह की सैर के साथ-साथ थोड़ा-बहुत व्यायाम व खेलकूद भी जरूरी है। इससे शरीर को नई चुस्ती-फुर्ती मिलती है, जो कि शारीरिक व मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है।

4* मनोरंजन हमारे जीवन का जरूरी हिस्सा है। परीक्षा के दिनों में मनोरंजन का समय घटा दें, लेकिन खुद को मनोरंजन की दुनिया से पूरी तरह अलग न करें। थोड़ा समय निकालकर हल्का-फुल्का संगीत, हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म या धारावाहिक अवश्य देखें। याद रखें की मनोरंजन का समय खाने में नमक की तरह होनी चाहिए, न तो बहुत ज्यादा न बहुत कम | शरीर के लिए 6 घंटे की नींद बहुत जरूरी है | इसलिए शरीर को प्रोपर रेस्ट भी दें

5* अगर माता-पिता ने आपके सामने बहुत कठिन लक्ष्य रख दिया है, आपको लगता है कि आप उसे हासिल नहीं कर पाएँगे, तो उनसे स्पष्ट शब्दों में कहें कि आप कोशिश करेंगे लेकिन आपकी क्षमता से यह लक्ष्य बड़ा है। अगर वे फिर भी उसे बार-बार आप पर थोपते हैं तो इसे इज्जत का   प्रश्न न बनाएँ। धैर्यपूर्वक उतना करें, जितना आप कर सकते हैं। अनावश्यक तनाव न पालें।

 6  *     स्टुडेंट्स परीक्षा के तनाव को कम करें और सकारात्मक सोच  अपनाएं | परीक्षा को अब कम ही समय रह गया है | ऐसे में किसी नए चैप्टर कि शुरुआत करने कि बजाय, जो पढ़ा है, उसे ही अच्छे से पढ़ें | पढ़ाई के साथ ही खान – पान का भी बराबर ध्यान दें |    लाख समझाने पर भी स्टुडेंट्स के मन में परीक्षा को लेकर तनाव तो रहता ही हैं | इस स्थिति में दिमाग को ज्यादा ऑक्सिजन कि जरुरत होती है, जो उचित खानपान से ही संभव है |

  खाना  सिर्फ दो  बार न  खाकर कुछ अंतराल में कई बार में खाएं | हर एक घंटे में पानी जरूर पियें और अंगूर, सेब, मुनक्का, मूंगफली, संतरा, सोयाबीन, पालक, खजूर, शहद और गुढ़ भी खाएं | मसालेदार खाने से बचें |

चिंता करें, लेकिन इतनी नहीं कि सब कुछ भूल जाएँ | पढ़ाई को यदि बोझ समझेंगे, तो कभी सार्थक फल नहीं मिलेगा

7** अगर आप तनाव में हैं या फिर आपको किसी तरह की घबराहट या बेचैनी हो रही है तो जल्दी ही घर के किसी सदस्य को या फिर करीबी मित्र को बताएँ। अगर आपको लगता है कि आपकी बात कोई नहीं सुनेगा 

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